जैसा कि आप सब जानते है कि दुनिया भर में लगे लॉकडाउन की वजह से काफी लोगों को नुकसान हुआ है वहीं कई लोगों की नौकरी चली गयी लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने अपने आइडिया से आगे बढ़ गए है। तो आज हम उन्हीं लोगों के बारे में बताएंगे जिनकी नौकरी जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। वाराणसी में इन दिनों दो युवा युवाओं के लिए रोल मॉडल बन रहे हैं। ये युवा हैं वाराणसी के डाफी में रहने वाले रमेश मिश्रा और उनके मित्र मदन मोहन।

यह दोनों युवा बीएचयू से पास आउट होकर अच्छा खासा कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन महामारी में इन्होंने अपनी नौकरी गंवा दी। नौकरी गंवाने के बाद ये हताश नहीं हुए बल्कि इन्होंने आपदा में भी अवसर तलाश लिए।
दोनों ने डाफी स्थित ही गांव में एक एकड़ की जमीन लीज पर लेकर उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। आज इस खेत से उपजे हुए स्ट्रॉबेरी बनारस के बाजारों में 300 रुपए किलो में बिक रहे हैं।

आपको बता दे कि इनको यह आइडिया पुणे से मिला, जिसके बाद दोनों किसानों ने वाराणसी की धरती पर अपने आइडिया को उतार दिया। इनका मानना है कि जब स्ट्रॉबेरी की खेती पुणे में हो सकती है, तो यह वाराणसी में क्यों नहीं।
इनके द्वारा शुरू की गई आधुनिक खेती वाराणसी के साथ ही आस-पास के जिलों के लिए नजीर बन गई है। यही वजह है कि लोग यहां आते हैं, इनकी खेती को देखते हैं और इनसे जानकारियां प्राप्त करते हैं।

गौरतलब है कि स्ट्रॉबेरी की खेती आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्र में होती है। लेकिन अब गंगा के किनारे भी स्ट्रॉबेरी की फसल लहलहाती हुई देखने को मिलेगी।

रमेश मिश्रा ने बताया कि हमने जब स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की तो कुछ समस्याएं भी आई, लेकिन उसका एक अच्छा पहलू यह रहा कि इससे कई लोगों को रोजगार भी मिला। लॉकडाउन में काफी लोगों की नौकरियां चली गई। कुछ ने किन्हीं कारणवश अपनी नौकरी छोड़ दी। ऐसे में लोगों का जीविकोपार्जन थोड़ा मुश्किल हो गया। इस वजह से हमने यहां 8 से 10 लोगों को काम पर रखा।