हम सभी जानते है कि हमारे देश को आजाद हुए 74 साल बीत गए। आज तक आजादी से जुड़े कई किस्से और कहानियां आप सबने सुने होंगे। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पूरे देश से 5 साल पहले आजाद हो गया था। इस गांव का नाम है ईसुरू, जिसने 1942 में ही ब्रिटिश शासन से अपने आप को आजाद घोषित कर दिया था।

कर्नाटक के शिमोगा जिले में एक गांव ऐसा भी है, जिसे 1947 से पहले आज़ादी मिल गई थी। इस गांव का नाम इसुरु है इसे 1942 में आज़ादी मिल गई थी। हालांकि, चुनावी संग्राम के बावजूद नेताओं का ध्यान इसपर नहीं है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इतिहास की किताबों में इसुरु का कोई उल्लेख नहीं है लेकिन छह बहादुर ग्रामीणों की शहादत का उल्लेख करता एक ग्रेनाइट मेमोरियल गांव में लगा हुआ है।

आपको बता दे कि 1942 में, ईसुरू ने राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया जब ग्रामीणों ने ब्रिटिश सरकार से गाँव की स्वतंत्रता की घोषणा की, जिसने उस समय भारत पर शासन किया था।

उन्होंने गांव को अवरुद्ध कर दिया और ब्रिटिश अधिकारियों को कर देने से मना कर दिया। उसके बाद ग्रामीणों ने 29 सितंबर 1942 को गांव के वीरभद्रेश्वर मंदिर के गुंबद पे तिरंगा लहरा कर गांव को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद घोषित किया।

कुछ दिनों बाद ब्रिटिश हुकूमत ने एक बड़ी फौज भेज कर गांव पे कब्जा करने की कोशिश की, जिसके चलते गांव वालो और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष हुआ।
बता दें कि इसुरु, शिकारीपुरा चुनावी क्षेत्र में है, जहां से बीजेपी के सीएम कैंडिडेट बीएस येदियुरप्पा भी चुनाव लड़े थे। यहां की 6,000 आबादी में 4,800 वोटर्स हैं।