बच्चा हो या बुजुर्ग यदि उसे छींक आती है तो उसकी आंखें अपने आप बंद हो जाती हैं। पलक झपक जाती है। जी हां ये स्वाभाविक है जब हमे सर्दी या जुकाम लगता है तो छींक आना शुरू हो जाता है उस दौरान छींकते समय हमारी आंखे बंद हो जाती है सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है।
भारत के बुजुर्ग कहते हैं कि छींकते समय यदि आंखें बंद नहीं की तो आंखों की पुतलियां निकल कर गिर सकती है। वैसे तो छींक आना आपके शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा शरीर नाक व गले के अंदर से उत्तेजक पदार्थों को बाहर निकाल देता है।

छींक आने के दौरान मुंह से तेजी से हवा निकलती है, जो पूरी तरह से अनैच्छिक होती है। छींक बिना किसी प्रकार की चेतावनी दिए अचानक से आती है। छींक आना जुकाम या नाक संबंधी किसी ऐसी एलर्जी का शुरूआती संकेत भी हो सकती है, जो नाक में सूजन व लालिमा पैदा कर देती है।

बता दे कि विषेशज्ञों के अनुसार छींक एक ऐसी क्रिया होती है जिसके आने पर हमारा शरीर भी काबू में नहीं रह पाता है और आमतौर पर हमारी आँखे इस दौरान खुद बंद हो जाती है, क्योंकि इसकी गति आश्चर्यजनक तेज होती है.
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जानकारी के लिए बता दें कि छींक की रफ्तार 100 मील प्रतिघंटा होती है। जिसके साथ लगभग 100000 जर्म की वातारण में मुक्ति होती है। अगर आपको छींक आये तो आप घबरा नहीं ये आपके सेहत के लिए काफी अच्छा होता है।

दरअसल छींकने से शरीर के हानिकारक जर्म बाहर निकलते हैं और यह प्रतिरोधी तंत्र की प्रक्रिया में भी एक बेहद जरूरी हिस्सा होती है। इसलिए सेहतमंद जीवन के लिए छींक आना बेहद जरूरी होता है।